ब्रह्माकुमारी ~संक्षेप में परिचय
ओम मंडली - जैसा कि नाम से ज्ञात है, यह आरम्भ में (कराची, पाकिस्तान में 1936 की बात है) बच्चों, माताओं व कुमारों का छोटा सा एक संगठन था, जिन्होंने कुछ दिव्य अनुभवों के पश्चात् परमात्मा के मार्ग में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने अपने सभी सम्बन्ध - संपर्क द्वारा अत्यधिक कठोर वचन व उपेक्षाओं को सहन किया, मात्रा इसलिए क्योंकि उन्होंने परमात्मा द्वारा दिखाए गये मार्ग पर चल पवित्र जीवन जीने का निश्चय कर लिया था। उनका यह त्याग अमर हो गया, आज उन सभी महान आत्माओं को प्यार व सम्मान से दादी - दादा के रूप में सम्बोधित किया जाता है। भगवान बाप के ऐसे हीरेतुल्य बच्चों की जीवन कहानी जानने के लिए जीवनी शाखा पर जाएँ।
ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक विश्वविद्यालय की स्थापना स्वयं निराकार परमात्मा शिव (सभी आत्माओ के पिता) ने मनुष्य माध्यम -प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के साकार तन द्वारा सत्य ज्ञान सुनाये पुरानी कलयुगी दुनिया का परिवर्तन एवं नई सतयुगी, सुख की दुनिया हेतु की है। विश्व नाटक में परमात्मा की भूमिका दुःख की दुनिया को परिवर्तन कर सुख की दुनिया स्थापन करने की है। सुख की दुनिया - जिसे हम स्वर्ग कहते हैं। यह सृष्टि का चक्र उसी प्रकार चलता है जैसे दिन और रात का चक्र। गहन अंधकार के पश्चात् जब सूर्य उदित होता है तो रात्रि का अंत होता है एवं एक नए दिन का प्रारम्भ होता है। परमात्मा के अवतरण के बाद ही पुराणी कलियुगी दुनिया का अंत और नयी सतयुगी सतोप्रधान दुनिया की आदि होती है।
वर्त्तमान समय ,महँ परिवर्तन का समय है जो 5000 वर्ष के कल्प में केवल एक बार होता है। अधर्म का विनाश एवं सत्य धर्म की स्थापना होती है। परमात्मा हमारे अविनाशी पिता, सर्वोच्च शिक्षक, सतगुरु,सच्चे मित्र एवं वह सभी सम्बन्ध हैं जिनकी हमें आवश्यकता होती है। हमारा उनसे बहुत ही सुन्दर, सत्य व अविनाशी सम्बन्ध है। इसलिए हम अपने जीवन के कठिन व दुःख के समय उन्हें ही याद करते हैं। जानिए मुरली क्या है और कौन ज्ञान सुनते है।
विश्व परिवर्तन का यह बेहद का ईश्वरीय कार्य हम ब्राह्मणों का भी लक्ष्य है। 2018 तक ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के 140 देशों में कुल 8800 से भी अधिक सेवाकेन्द्र है। यह किसी भी NGO का विश्व में सबसे अधिक विस्तार है। यह स्वयं में विश्व परिवर्तन का मुख्य संकेत है की यह सन्देश आज घर घर में अनेको माध्यमों द्वारा मिल रहा है, और साथ ही यह भी संकेत है कि वह कौन सी अदृश्य शक्ति है जो इस विशाल संस्था को इतनी सहजता से संभाल रही है। वास्तव में यह आत्मिक शक्ति है जो परमात्मा से योग लगाने से मिलती है। परमात्मा की जो ज्ञान मुरली प्रतिदिन हम सुनते हैं, वही मुरली हमारे परमपिता शिव बाबा की वाणी है, जो स्व-परिवर्तन व विश्व परिवर्तन की सेवा में हमारा मार्ग प्रशस्त करती है।

अब वो महत्वपूर्ण समय आया है जब परमात्मा पुनः शांति,पवित्रता,प्रेम व सुख की दुनिया स्थापित करने के लिए इस धरती पर अवतरित हुए हैं। परमात्मा कहते हैं - " अपने को आत्मा समझ एक मुझ बाप से अपना अविनाशी सम्बन्ध जोड़ो एवं मामेकम याद करो तो तुम्हारे समस्त विकर्म विनाश होंगे और आत्मा पवित्र बन जाएगी। इस जन्म में जो सम्पूर्ण पवित्र बनेंगे वही मुझ द्वारा स्थापित नई दुनिया - सतयुग में आएंगे और बहुत सुख प्राप्त करेंगे " - यह परमात्मा के महावाक्य हैं। तो अब हमें निर्णय लेना है कि हमें श्रीमत पर चल अपना भाग्य स्वयं निर्मित करना है। अध्यातिक ज्ञान उत्थान : 7 दिवसीय राजयोग कोर्स ऑनलाइन।
हमें अपना चरित्र दिव्या बनाना है। विश्व परिवर्तन का यह कार्य दुरांदेशी आत्माओं को स्पष्ट दिखाई दे रहा है। दुनिया में इस समय अनेक भौतिक व सूक्ष्म परिवर्तन हो रहे हैं। हम इस श्रेष्ठ ईश्वरीय कार्य में परमात्मा के सहयोगी हैं। जीवनी पृष्ठ पर जीवन गाथा पढ़ें - ऐसी महान आत्माओं की ,जो बाप दादा की विशेष सहयोगी बनीं।
और इतिहास पृष्ठ पर पढ़ें कि कैसे सतयुग की पुनः स्थापना व विश्व परिवर्तन का कार्य शिव बाबा ने ब्रह्माकुमारी संस्था व ओम मंडली द्वारा सन 1936 में स्वयं किया।
आरंभ फोटो देखने के लिए देखें पिक्चर गैलरी।